Thursday, January 1, 2009

सुनो नए वर्ष !

नए वर्ष सुनो
तुम्हारा स्वागत है
पर तुम्हारे स्वागत में
मै मस्त हो कोई
जश्न नही मना सकती
क्योंकि जो बीता
वह भूला नही है
घाव अभी भरा नही है
दर्द की अनुभूति
अब तक है
बताओ नए वर्ष
कैसे झूमू
तुम्हारे स्वागत में ,
हो सके तो
दर्द को सहला देना
घाव पर मलहम लगा देना
दे देना
सवालों के जवाब
मुरझाये चेहरों को
संभावनाओं का आकाश
बुझी आंखों में
आशा और विश्वास
सपनों को देना पंख
जो भर सके ऊंची उड़ान
दे दो ऐसा स्वर्णिम विहान
तब गा संकूंगी
तुम्हारे स्वागत का
मधुरिम गान
नए वर्ष तुम
सुन रहे हो न !