Wednesday, April 1, 2015

abhivyakti: कौन

abhivyakti: कौन

sbhjkjh jklk;lk;'l'; jkljlk;lk; hkjjlk;l hk,jl.k; jklj;oki';p

कौन

न बंधु न मित्र न सखा
फिर तुम हो कौन
बस एक मौन !
तुम क्या हो ?
जीवन का एक पड़ाव
एक भटका हुआ भाव
कुछ अनुत्तरित प्रश्न
कुछ स्नेहिल क्छण
एक अपरिभाषित
अभिव्यक्ति
एक मधुरिम प्रतिती
बन गया सब अतीत
हुआ सब गौण
न बंधु न मित्र न सखा
फिर तुम हो कौन
बस एक मौन!
ऐ अंजाने शुभचिंतक!

Saturday, March 17, 2012

मुझे टिपण्णी चाहिए ........

मैंने लगभग दो सालो से ब्लॉग पर कुछ नहीं लिखा । कभी समय नही तो कभी लैपटॉप नही । विचार आये तो कभी पन्नो पर उतारा तो कभी यो ही हवा हो गए । इतने दिनों बाद जब अपना ब्लॉग खोल रही थी तो खुल भी
नही रहा था ,मेरे ब्लॉग की जगह web 2 rank खुल रहा था ,ऐसा क्यों हो रहा है ?
खैर ........मैंने एक हाइकू लिखने की कोशिश की है ...सही है या नहीं आप बताये ।

"भावनाओ का ज्वार
शब्दों का उफान
बनी एक कविता "



"मुखरित मौन
सुरभित नयन
नेह की भाषा "

mujhe

mujhe

Sunday, February 14, 2010

प्रेम

आज प्रेम दिवस है यानि वलेंताईं डे । प्रेम यो तो किसी दिवस का मोहताज नहीं पर शायद ये दिवस भूली हुयी चीजों को याद दिलाने के लिए आते हैं । आज इस अवसर पर मैं हिंदी साहित्य के दो प्रमुख कवि श्री केदार नाथ अग्रवाल एवं श्री दिनकर जी की कविता आप तक प्रेषित कर रहीं हूँ ।
"इतना प्रिय है प्यार हमारा
जितना प्रिय है
गिरे मनुज को देना प्राण सहारा
इसी प्यार से
हमने तुमने
पाया अपना कूल किनारा "

"जो लोग कमर कस कर
प्रेम की खोज में निकलते हैं
जान लो की वे पूरे प्रेम हीनं हैं
लेकिन ,जो स्वयं प्रेमी हैं
वे प्रेम हर जगह पाते हैं
प्रेम की खोज में कहीं नहीं जाते हैं "

Wednesday, November 18, 2009

सवालों के हल

छूना चाहती हूँ आकाश
पर धरती से नही
टूटना चाहती
नापना चाहती हूँ ऊंचाई
पर आधार नहीं
खोना चाहती
उड़ना चाहती हूँ
पर बिखरना नही चाहती
होना चाहती हूँ मुक्त
पर बंधन नही तोडना चाहती
होना चाहती हूँ व्यक्त
पर परिधि नहीं लांघना चाहती
.......
देखती हूँ मेरा न चाहना
मेरे चाहने से अधिक प्रबल है
और फिर
मेरा न चाहना भी तो
मेरा चाहना ही है
इसलिए शायद
मेरे सवालों का
मेरे पास ही हल है