Sunday, February 14, 2010

प्रेम

आज प्रेम दिवस है यानि वलेंताईं डे । प्रेम यो तो किसी दिवस का मोहताज नहीं पर शायद ये दिवस भूली हुयी चीजों को याद दिलाने के लिए आते हैं । आज इस अवसर पर मैं हिंदी साहित्य के दो प्रमुख कवि श्री केदार नाथ अग्रवाल एवं श्री दिनकर जी की कविता आप तक प्रेषित कर रहीं हूँ ।
"इतना प्रिय है प्यार हमारा
जितना प्रिय है
गिरे मनुज को देना प्राण सहारा
इसी प्यार से
हमने तुमने
पाया अपना कूल किनारा "

"जो लोग कमर कस कर
प्रेम की खोज में निकलते हैं
जान लो की वे पूरे प्रेम हीनं हैं
लेकिन ,जो स्वयं प्रेमी हैं
वे प्रेम हर जगह पाते हैं
प्रेम की खोज में कहीं नहीं जाते हैं "

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