Thursday, January 1, 2009

सुनो नए वर्ष !

नए वर्ष सुनो
तुम्हारा स्वागत है
पर तुम्हारे स्वागत में
मै मस्त हो कोई
जश्न नही मना सकती
क्योंकि जो बीता
वह भूला नही है
घाव अभी भरा नही है
दर्द की अनुभूति
अब तक है
बताओ नए वर्ष
कैसे झूमू
तुम्हारे स्वागत में ,
हो सके तो
दर्द को सहला देना
घाव पर मलहम लगा देना
दे देना
सवालों के जवाब
मुरझाये चेहरों को
संभावनाओं का आकाश
बुझी आंखों में
आशा और विश्वास
सपनों को देना पंख
जो भर सके ऊंची उड़ान
दे दो ऐसा स्वर्णिम विहान
तब गा संकूंगी
तुम्हारे स्वागत का
मधुरिम गान
नए वर्ष तुम
सुन रहे हो न !

10 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

bilkul sunega aapki bhavna. narayan narayan

Jaya M said...

Wish you a very happy new year..

hem pandey said...

दे देना
'सवालों के जवाब
मुरझाये चेहरों को
संभावनाओं का आकाश
बुझी आंखों में
आशा और विश्वास
सपनों को देना पंख
जो भर सके ऊंची उड़ान
दे दो ऐसा स्वर्णिम विहान'

-इन्हीं आकांक्षाओं के साथ नए साल की शुभकामनाएं.

sandhyagupta said...

आने वाला हर पल गुज़रे लम्हों से बेहतर हो
नव वर्ष मंगलमय हो!

योगेन्द्र मौदगिल said...

Wah........
Happy New Year.........JAYA g

hem pandey said...

नव वर्ष पर आपकी प्रस्तुति पढ़ी. अच्छी लगी. रचना का सकारात्मक उल्लेख मैंने अपने ब्लॉग की नयी पोस्ट में किया है. कृपया देखियेगा.

डॉ .अनुराग said...

सच कहा.....पर उम्मीद ओर हौसले दोनों को भी जिलाए तो रखना होगा......

Vijay Kumar said...

'घाव अभी भरा नहीं'. नही भरेगा यह घाव .इस मर्म स्पर्शी रचना के लिए साधुवाद .मुंबई के वीर्रों के लिए एक गीत लिखा है मैंने अपने ब्लॉग पर ,वक्त हो तो गा कर पढियेगा

sandhyagupta said...

Holi ki hardik shubkamnayen.

hem pandey said...

इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के बाद चुप्पी अच्छी नहीं लगी.