इधर बहुत दिनों से ब्लॉग पर कुछ लिखा नही ,एक तो आतंकवादी घटना के बाद लेखनी कुछ थम सी गई थी और दूसरा मुंबई के मेरे कॉलेज में वार्षिकोत्सव से सम्बंधित विभिन्न कार्यक्रम चल रहे थे ,इन सभी कार्यक्रमों में आतंकवाद प्रमुख विषय बन कर उभर रहा था ,इन्ही में से एक नाटिका की प्रस्तुति छात्रों ने की जिसमे उन्होंने मुंबई की आतंकवादी घटना को बहुत मार्मिक और सजीव रूप में प्रस्तुत किया । यह सब देख कर आँखे बरबस ही आंसुओं से भर गयीं और मात्र भरी ही नहीं बड़ी तीव्रता से छलकने भी लगीं ,सामान्यतया मुझे सबके सामने रोना अच्छा नहीं लगता पर जब स्वयं पर वश ही न हो ,हृदय छिन्न-भिन्न हो तो फिर आंखों का क्या दोष वह तो प्रत्यक्ष देख रहीं थीं । मै अपने चेहरे को छुपाने का प्रयास कर रही थी ,फिर भी कुछ शिक्षको ने देख लिया और कहा आप बड़ी इमोशनल हैं ! मै कुछ बोली नहीं क्योंकि जब हृदय और आँखें अभिव्यक्ति का साधन बन जायें तो शब्द गौड़ प्रतीत होते हैं । वास्तव मे ये आंसू पीड़ा की ही अभिव्यक्ति नही थे बल्कि उसमे राष्ट्राभिमान ,स्वाभिमान का भाव भी घुला हुआ था , इन छात्र छात्राओं पर गर्व भी हुआ कि वह अपनी देश की मिटटी से कितना जुड़े हुये हैं ,यों इस समय समूचा देश एकजुट है आतंकवाद के खिलाफ अब बस देर है तो पकिस्तान को नाको चने चबवाने की
बहुत हो गई शान्ति की बात ,यह शान्ति कहीं शमशान की शान्ति न बन जाए उससे पहले ही पकिस्तान के विरुद्ध युद्ध नाद करना होगा क्योंकि किसी ने कहा है
"जग नही सुनता कभी दुर्बल जानो का शांत प्रवचन
सर झुकता है उसे जो कर सके रिपु मान मर्दन "
8 comments:
ब्लॉग जगत में वापसी के लिए बधाइयाँ |
अगर हम एकजुट हो तो साड़ी समस्याओं का निदान सम्भव है |
आंसुओं में पीड़ा, राष्ट्राभिमान,स्वाभिमान के साथ साथ उस नपुंसक सत्ता के प्रति आक्रोश भी व्यक्त होना चाहिए,जो आतंकवादियों से निरीह प्रजा की रक्षा तो कर नहीं सकती,स्वयं के न्यायालय द्वारा दण्डित आतंकवादी पर दंड का अनुपालन भी नहीं कर सकती.
लिखती रहें।
"जग नही सुनता कभी दुर्बल जानो का शांत प्रवचन
सर झुकता है उसे जो कर सके रिपु मान मर्दन "
बहुत सटीक....वापसी का स्वागत है।
main to ab bhi nahi maanta ki yudh hona chahiye..sarhad ke is paar gire ye us paar,kisi masoom ki laash to nahi girni chahiye...aam janta to har jagah is aatankvaad se pareshaan hai
is baare mein mere vichaaro pe ekbaargee gaur farmaaiyega:
http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_23.html
aur zara mann halka karne ke lliye blog pe kuchh vynag bhari rachnaao pe bhi nazar daale... :)
sirf hungama khada karna mera maksad nahi,
shart ye hai ki tasveer badalni chahiye...
मिर्ज़ा गालिब को उनके 212वीं जयंती पर बधायी दे:
http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_27.html
Yudha kisi samasya Ka samadhaan nahi hai, oske shesh hone par keval Tabahi hi rahti hai, Jivan ki, samay ki aur sansadhano ki ..
aap samajh sakti hain shayad ...
aap jarror kuch na kuch likti rahen, par ke acha lagta hai...
hugs and smiles
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