Sunday, November 16, 2008

हम तुम

हमारा और तुम्हारा जुड़ना
नदी के दो किनारों की तरह
जो साथ -साथ तो हैं
पर पास -पास नहीं
उन्हें जोड़ती है तरलता
और हमें आत्मीयता

6 comments:

mehek said...

waah kya baat hai sundar

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

साधारण सी बात है, जानी हुई, मगर कहना इस तरह...वाह!

श्यामल सुमन said...

खुशबू तेरे बदन की मेरे साथ साथ है।
कह दो जरा हवा से तन्हा नहीं हूँ मैं।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

seema gupta said...

उन्हें जोड़ती है तरलता
और हमें आत्मीयता
' beautiful and loving thoughts.."

Regards

DEEPAK NARESH said...

wonderful...keep writing

God bless u...

संगीता-जीवन सफ़र said...

आत्मीयता की महक लिए हुये बहुत सुंदर---!