Saturday, August 30, 2008

सहजता

सहज होना
जैसे निरभ्र आकाश में
पंछी का उड़ना
श्वेत निर्झर का झरना
उदधि में उठने वाला फेनिल ज्वार
इक माँ का अपने बच्चे से दुलार
इक पत्नी का अपने पति के लिए
फुलके पकाना
रूठने पर पति का
उसे मनाना
भाई बहन की परस्पर लड़ाई
नाती पोतो की दादी नानी से ढिठाई....
सहज होना
जैसे मुस्कुराना
कोई गीत गुनगुनाना
पलकों का भीग जाना
मन को कुछ भा जाना
क़दमों की थिरकन
हलकी सी सिहरन ...
सहज होना
जैसे सब में व्याप्ति
और स्वयं की प्राप्ति

1 comment:

राजेंद्र माहेश्वरी said...

संतुलित रहने वालों की जीवन-यात्रा सहज गति में चलती है।