"जी बहु रे मोरे भइया जियो भइया लाख बरिसे हो न ,हाथ कमल मुख बिरिया भौजो के सीर सेंदुर सोहे न ........" यह लोकगीत नानी के होठों से थिरकते हुए माँ और मौसी के कंठ में रस घोलते हुए मुझ तक आपहुंचा । बचपन में भागलपुर में रहते हुए मै नानी मौसी और माँ के साथ भइया दूज के दिन ईट पर सुपाड़ी ,गाय का गोबर ,मूसल आदि रख कर पूजा करते हुए अपने भाई को याद करते हुए यह गीत गाती थी । इस गीत की धुन बड़ी मनोहारी लगती थी पर गीत के अर्थ से अनजान सी ही थी ,कई बार तो शब्द भी नहीं समझ आते थे । क्रमश: शब्द के साथ अर्थ भी समझ आने लगा और गीत का वात्सल्य भरा भाव भी ...."मेरे भइया तुम लाख वर्ष तक जियो ,भाभी का सुहाग सदा बना रहे ...."ऐसी सुंदर भावना भाव विभोर कर देती है । सच !भाई बहन के परस्पर प्रेम को यह पर्व प्रगाढ़ बनाता है और यह पर्व भारत भूमि की उपज है ,इस बात से हृदय गर्वानुभूति से भर जाता है । आज भी भइया दूज है और मै अपने एक मात्र प्यारे से छोटे से सहोदर भाई से बहुत दूर यहाँ मुंबई में हूँ । मेरा भाई 'जेता ' अपने नाम की ही तरह सभी के मन को जीतने वाला ,व्यवस्थित ,नियंत्रित ,मुझे निरंतर कुछ करने के लिए प्रेरित करने वाला व सर्व गुन संपन्न है। अब जबकि मै उस गीत का अर्थ पूरी तरह से जान गई हूँ ,उसका एक एक शब्द manan कर चुकी हूँ ,यहाँ दूर से ही अपने प्यारे भाई जेता
जिसे प्यार मै bauwa bulati हूँ ,और उसकी जीवन साथी pyari ,hasmukh paarul को aashish देते हुए यही गीत gunguna रहीं हूँ .....जी बहु रे मोरे भइया ........ ।
(ऊपर कुछ शब्द हिन्दी में परिवर्तित नहीं हो रहे हैं )
5 comments:
bahut hi dunder likha aapne
बहुत सुन्दर-मन से निकली बात. कौन सा टूल है हिन्दी लिखने का जिसमें यह अंग्रेजी को परिवर्तित नहीं कर रहा. क्या आपने बारहा इस्तेमाल किया है// BARAHA7.0 सर्च करिये.
Bhai Dooj par badhiya Rachna.
sach.....aapki takleef samajh sakti hu...mai bhi yahan dubai me baith kar apne bhai ko bahut yaad karti hu is din......aapne bahut meetha meetha sa likha hai.....ek link de rahi hu...ise azmaiye.....
http://www.google.com/transliterate/indic/
सामयिक रचना के लिये साधुवाद
Jaya di
aapka aashish kabool hai
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